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कविता

भउजी माने झगरी

प्रकाश उदय


भउजी माने झगरी
पानी माने मछरी
ना धइला खतिरा
बुड़ि-बुड़ि पोखरा नहइला खतिरा

मारे-मारे उपटी
भइयो के डपटी
छोड़इला खतिरा
'बाचा बाटे' कहिके बचइला खतिरा

सरदी में हरदी
पियाई जबरजसती
दवइया खतिरा
घासो गढ़े जाय ना दी गइया खतिरा

कमरा प कमरा
ओ प अँकवरवा
जड़इया खतिरा
अपने के गारी दी सतइला खतिरा

जसहीं टँठाइब
फेरुओ डँटाइब
काथी दोनी कब दोनी कइला खतिरा
अउरू ना त डेलिए डँटइला खतिरा

 


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